सफेद दाग (Leucoderma)

सफेद दाग क्या है

इस रोग में त्वचा का प्राकृतिक रंग बदल जाता है और वहां सफेदी आ जाती है। सफेदी के कारण इसे शिवत्र भी कहते हैं। इस रोग को हिन्दी में ‘श्वेत कुष्ठ’ अथवा ‘सफेद कोढ़’ के नामों से भी जाना जाता है, परंतु कुछ चिकित्सक इसे ‘कोढ़” न मानकर एक अलग ही रोग मानते हैं। शरीर के किसी भी हिस्से पर त्वचा का रंग में बदलाव होकर धीरे-धीरे यह रोग फैलता जाता है और एक समय ऐसा आता है, जब लगभग सारा शरीर ही सफेद हो जाता है। शरीर के विभिन्न भागों (चेहरा, होंठ, टांग, हाथ) पर पहले छोटे-छोटे सफेद दाग या सफेद चकत्ते पड़ जाते हैं, परंतु बाद में वे धीरे-धीरे फैलते जाते हैं | यह रोग संक्रामक नहीं होता और न ही इसके होने पर दर्द होता है। मेडिकल टर्म में इस समस्या को vitiligo के नाम से जाना जाता है | दरअसल त्वचा के बाहरी स्तर में मेलेनिन नामक रंजक द्रव्य रहता है, जो त्वचा को प्राकृतिक रंग देता है। विभिन्न कारणों से इसके ठीक से काम न करने से सफेद दाग उत्पन्न होते है |
Related image
ये सफेद दाग कभी-कभी तो अपने आकार में सिमटकर ही रह जाते हैं और कभी-कभी शरीर पर अत्यधिक फैल जाते हैं। यदि त्वचा पर हल्के सफेद दाग और दाग छोटे, कम हों तो चिकित्सा के लायक समझा जाता है |

सफेद दाग कोई ऐसा रोग नहीं जो एक से दूसरे को लग जाए। पीड़ित रोगी की संतान भी सफेद दाग से ग्रस्त हो, ऐसा जरुरी नहीं होता। इस बीमारी को छिपाने की जरूरत नहीं है। सफेद दाग का सफल इलाज लगभग सभी चिकित्सा प्रणालियों में है मगर ये इस पर निर्भर करता है की बीमारी की तीव्रता क्या है कौन सी स्टेज है और रोग को कितना समय हुआ है | सबसे ज्यादा समय की भूमिका ज्यादा खास होती है जितना जल्दी आप इसका इलाज करवाएंगे इसके ठीक होने की उतनी ही ज्यादा संभावना होगी |

सफेद दाग की विकृति कुष्ठ की तरह हानिकारक नहीं होती है। चिकित्सा करने पर सफेद दागों को आसानी से ठीक किया जा सकता है। कुछ रोगियों के सफेद दाग पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं और कुछ रोगियों के चेहरे और शरीर के विभिन्न अंगों में हल्के दाग रह जाते है

सफेद दाग होने के कारण

श्वेत कुष्ठ की उत्पति प्रकृति विरुद्ध खाना खाने से , खाने में अनियमितता, बासी, दूषित सड़े-गले मांस के खाने से होती है।

सफेद दाग होने के अन्य कारणों में जब कोई व्यक्ति मछली और दूध, नीबू का रस व घी, घी और दही आदि 

प्रकृति विरुद्ध खाद्य-पदार्थों का निरंतर सेवन करता है तो रक्त दूषित होने से श्वेत कुष्ठ पैदा होता है। 

आधुनिक चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार सफेद दाग होने का प्रमुख कारण त्वचा में स्थित मेलोनिक नामक रंगीन पदार्थ का निर्माण करने वाली पेशियां किसी कारण से कमजोर हो जाती हैं तो त्वचा पर सफेद दाग बनने लगते हैं।

श्वेत कुष्ठ कोई प्राणघातक रोग नहीं, लेकिन इन सफेद दागों से चेहरे की सुंदरता नष्ट हो जाने के कारण सभी इस रोग से भयभीत रहते हैं।

वैसे ज्यादातर विशेषज्ञों का मत यह है की सफेद दाग होने के प्रमुख कारणों में त्वचा में मेलानोसाइट्स सेल्स द्वारा उत्पादित मेलेनिन की कमी ही होता है 

फंगल संक्रमण से भी सफेद दाग होने का कारण होता है

खाने में तांबा तत्व की कमी होना |

त्वचा के जल जाने से अंदुरुनी परत का खराब हो जाना |

पैतृक या वंशानुगत होना, रजस्वला, विरुद्ध (बेमेल) भोजन करना, भोजन पचे बिना दूसरा भोजन करना, गरिष्ठ पदार्थों का सेवन, पुराना कब्ज, पाचन शक्ति का कमजोर होना भी सफेद दाग होने के कारणों में आता है |

अत्यधिक मानसिक चिंता, क्रोनिक या पेट में ज्यादा गैस्ट्रिक विकार होने से |

आहार नलिका में इन्फेक्शन,टाइफाइड |

लीवर और थायराइड की गड़बड़ी से भी सफेद दाग की बीमारी हो सकती है। दरअसल थायरॉयड की वजह से भी स्किन से नेचुरल तेल निकलने की कमी से त्वचा ड्राई लगने लगती है। और आगे चलकर वो सफ़ेद दाग होने का कारण बन जाती है |

शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) उलटा असर, मतलब जब शरीर का इम्यूनिटी सिस्टम ठीक से काम ना करें |

एन्टीबायोटिक तथा तेज औषधियों की भारी खुराक से भी सफेद दाग का रोग हो सकता है।

सफेद दाग के लक्षण

इस रोग के लक्षणों में शुरू में हाथों, कोहनी, चेहरे, टखने, पैर, कमर आदि स्थानों पर सफेद दाग उभर कर धीरे-धीरे सारे शरीर में फैलते हैं तथा इन दागों में कोई पीड़ा नहीं होती है।

या अन्य मांसाहार, शराब, तंबाकू से परहेज करें।

लौकी को उबालकर इसका पानी पियें |

आलू, उड़द, गन्ना, प्याज, मक्खन, दूध, जामुन, मिठाई, केला न खाएं।

दूध और मछली या दूध और मांस एक साथ सेवन न करें। इन चीजो का सफेद दाग में विशेष तौर पर परहेज रखें

दूध से बनी चीजों का सेवन कम कर दें, मिठाई, रबडी, दही का एक साथ खाने में शामिल न करें।

तिल, गुड़ और दूध भी एक साथ सेवन न करें।

खट्टी चीजें जैस इमली, खटाई, नीबू, संतरा, आम, अंगूर, टमाटर, आंवला, अमरुद, आलूबुखारा, अचार, दही, लस्सी, मिर्च, मैदा, उड़द दाल न खाएं। इन चीजो का सफेद दाग में परहेज रखें |

Comments

Popular posts from this blog

गव्हांकुराच्या रसाचे फायदे (Wheat Grass)

आजार व त्यावरील उपाय

वडाच्या झाडाचे औषधी महत्व..!